न्यायपालिका किसी भी लोकतांत्रिक देश की रीढ़ होती है। यह न केवल नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करती है बल्कि सरकार की कार्यवाही की भी समीक्षा करती है।
इस अध्याय में हम bseb class 8 social science solutions civics chapter 5 notes नागरिकशास्त्र के तहत न्यायपालिका के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करेंगे।
न्यायपालिका की परिभाषा – bseb class 8 social science solutions civics chapter 5 notes
न्यायपालिका वह संस्था है जो कानून की व्याख्या करती है और यह सुनिश्चित करती है कि देश में कानून का पालन किया जा रहा है। न्यायपालिका का मुख्य कार्य न्याय प्रदान करना और संविधान की रक्षा करना है। न्यायपालिका का कार्य केवल विवादों का निपटारा करना नहीं है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना और सरकार के गलत फैसलों पर अंकुश लगाना भी है।
न्यायपालिका का महत्व
न्यायपालिका का महत्व इस बात में निहित है कि यह नागरिकों को न्याय दिलाने का अंतिम और सर्वोच्च माध्यम है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो यह सुनिश्चित करती है कि न्याय के मामले में किसी भी प्रकार का दबाव न हो। न्यायपालिका के बिना किसी भी लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि संविधान के तहत सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलें।
भारतीय न्यायपालिका की संरचना:- भारतीय न्यायपालिका की संरचना तीन स्तरों में विभाजित है:
- उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट): यह देश का सर्वोच्च न्यायालय है। सुप्रीम कोर्ट के पास अपील, सलाहकार, मूल और रिट अधिकारिता होती है। इसका निर्णय अंतिम होता है और सभी निचली अदालतों पर बाध्यकारी होता है।
- उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट): यह राज्य स्तर का सर्वोच्च न्यायालय है। हर राज्य का अपना उच्च न्यायालय होता है जो राज्य के न्यायिक मामलों की सुनवाई करता है।
- अधीनस्थ न्यायालय (सबऑर्डिनेट कोर्ट): ये जिला और तालुका स्तर की अदालतें होती हैं। ये न्यायपालिका के सबसे निचले स्तर पर होते हैं और सामान्य नागरिकों के मामलों की सुनवाई करते हैं।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता
न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब है कि न्यायपालिका को किसी भी प्रकार के बाहरी दबाव या हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि न्यायालय निष्पक्ष निर्णय दे सके। संविधान ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता की गारंटी दी है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि न्यायालय किसी भी राजनीतिक या अन्य प्रकार के दबाव से प्रभावित नहीं होंगे।
न्यायपालिका और विधायिका के बीच संतुलन
भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका और विधायिका के बीच संतुलन बहुत महत्वपूर्ण है। न्यायपालिका का कार्य कानून की व्याख्या करना और यह सुनिश्चित करना है कि विधायिका द्वारा बनाए गए कानून संविधान के अनुरूप हों। अगर कोई कानून संविधान के खिलाफ पाया जाता है, तो न्यायपालिका उस कानून को अमान्य घोषित कर सकती है।
न्यायपालिका से जुड़े महत्वपूर्ण मामले:- भारतीय न्यायपालिका ने कई महत्वपूर्ण मामलों में ऐतिहासिक फैसले दिए हैं जिन्होंने देश के कानूनी ढांचे को मजबूत किया है। इनमें से कुछ प्रमुख मामले हैं:
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत की स्थापना की। कोर्ट ने यह फैसला दिया कि संविधान का मूल ढांचा अपरिवर्तनीय है और संसद इसे नहीं बदल सकती।
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967): इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि संसद संविधान के मौलिक अधिकारों को संशोधित नहीं कर सकती।
- शाहबानो केस (1985): इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं के अधिकारों की पुष्टि की और उन्हें गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।
निष्कर्ष
न्यायपालिका भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है जो देश के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है और कानून के शासन को बनाए रखता है। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता ही है जो इसे अन्य संस्थानों से अलग और विशेष बनाती है। बिहार बोर्ड class 8 social science solutions civics chapter 5 notes में न्यायपालिका की संरचना, कार्य और महत्व पर गहन विचार किया गया है, जो विद्यार्थियों को न्यायपालिका के महत्व को समझने में सहायता करेगा।
यह लेख इस बात पर जोर देता है कि कैसे भारतीय न्यायपालिका ने समय-समय पर देश की कानूनी और सामाजिक संरचना को मजबूत किया है और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की है।
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आध्याय | अध्याय का नाम |
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1. | संसाधन |
1A. | भूमि, मृदा एवं जल संसाधन |
1B. | वन एवं वन्य प्राणी संसाधन |
1C. | खनिज संसाधन |
1D. | ऊर्जा संसाधन |
2. | भारतीय कृषि |
3 | उद्योग |
3A | लौह-इस्पात उद्योग |
3B | वस्त्र उद्योग |
3C. | सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग |
4. | परिवहन |
5. | मानव संसाधन |
6. | एशिया (no Available notes) |
7 | भौगोलिक आँकड़ों का प्रस्तुतिकरण (no Available notes) |
अतीत से वर्तमान भाग 3 –कक्ष 8 सामाजिक विज्ञान – |
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सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन भाग 3 |
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अध्याय | अध्याय का नाम |
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1. | भारतीय संविधान |
2. | धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार |
3. | संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि) |
4. | कानून की समझ |
5. | न्यायपालिका |
6. | न्यायिक प्रक्रिया |
7. | सहकारिता |
8. | खाद्य सुरक्षा |