संसदीय सरकार, लोकतंत्र के एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में कार्य करती है, जिसमें जनता के प्रतिनिधि सरकार का संचालन करते हैं। बिहार बोर्ड कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान की नागरिक शास्त्र की तीसरी किताब में इस विषय पर विस्तृत चर्चा की गई है।
यह लेख Bihar board class 8th SST civics chapter 3 Notes भारतीय संसदीय प्रणाली, इसके तत्व, और लोगों के प्रतिनिधियों की भूमिका को समझने में सहायता प्रदान करेगा।
Bihar board class 8th SST civics chapter 3 Notes – संसदीय सरकार का ढांचा
संसदीय प्रणाली की परिभाषा:- संसदीय प्रणाली वह प्रणाली है जिसमें सरकार का गठन संसद द्वारा किया जाता है। इसमें दो प्रमुख अंग होते हैं – लोक सभा और राज्य सभा। संसदीय प्रणाली का उद्देश्य सरकार को जनता की इच्छाओं और आवश्यकताओं के अनुसार संचालित करना है।
संसद की संरचना
- लोक सभा:- लोक सभा, जिसे लोक प्रतिनिधि सभा भी कहा जाता है, संसद का निचला सदन है। इसके सदस्य आम चुनावों के माध्यम से चुने जाते हैं। लोक सभा की प्राथमिक भूमिका सरकारी नीतियों को पारित करना और सरकार की गतिविधियों की निगरानी करना है।
- राज्य सभा:- राज्य सभा, जिसे राजसभा भी कहा जाता है, संसद का ऊपरी सदन है। इसके सदस्य विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। राज्य सभा का कार्य संविधान में संशोधन के प्रस्तावों पर चर्चा करना और विभिन्न क्षेत्रों की चिंताओं को संसद में उठाना है।
प्रधानमंत्री और कैबिनेट:- प्रधानमंत्री, संसद के निचले सदन (लोक सभा) के बहुमत दल के नेता होते हैं। प्रधानमंत्री का कार्य सरकार की नीति निर्धारण और कार्यान्वयन की दिशा तय करना होता है। वे कैबिनेट के सदस्यों को नियुक्त करते हैं और सरकार की प्रमुख नीतियों का संचालन करते हैं।
विपक्ष और इसके कार्य:- संसद में विपक्ष का महत्वपूर्ण कार्य है सरकार की नीतियों और कार्यों की आलोचना करना और उनकी निगरानी करना। विपक्षी दल संसद में चर्चाओं और बहसों के माध्यम से सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते हैं और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में योगदान देते हैं।
लोगों के प्रतिनिधि
प्रतिनिधित्व की प्रक्रिया
- चुनाव:- लोक सभा के चुनाव आम चुनावों के माध्यम से होते हैं, जिसमें जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। ये चुनाव हर पाँच साल में होते हैं और इसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
- भूमिका और जिम्मेदारियाँ:- चुने गए प्रतिनिधि संसद में जनता की आवाज उठाते हैं। वे सरकारी नीतियों पर चर्चा करते हैं, जनसमस्याओं को संसद में उठाते हैं, और अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को हल करने का प्रयास करते हैं।
जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारियाँ
- कानून बनाना:- जनप्रतिनिधि संसद में बैठकर कानून बनाते हैं जो पूरे देश के लिए लागू होते हैं। वे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं और सरकार द्वारा प्रस्तुत विधेयकों पर मतदान करते हैं।
- जनता की समस्याएँ उठाना:- प्रत्येक जनप्रतिनिधि अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को संसद में उठाते हैं। वे विभिन्न मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और आधारभूत संरचना।
- सार्वजनिक सेवाओं की निगरानी:- जनप्रतिनिधि यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकारी सेवाएँ सही ढंग से कार्यान्वित हो रही हैं। वे सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि इनका लाभ आम जनता को मिले।
संसदीय कार्यप्रणाली
- कानून निर्माण की प्रक्रिया:- संसद में नए कानून बनाने की प्रक्रिया जटिल होती है। एक विधेयक को कानून बनने के लिए कई चरणों से गुजरना पड़ता है। विधेयक को पहले लोक सभा में पेश किया जाता है, फिर राज्य सभा में चर्चा की जाती है, और अंततः राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त होती है।
- प्रश्नकाल और चर्चा:- संसद में प्रश्नकाल का आयोजन होता है, जिसमें सांसद सरकार से विभिन्न मुद्दों पर सवाल पूछते हैं। इस दौरान, महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाती है और सरकार की नीतियों और कार्यों पर सवाल उठाए जाते हैं।
- बजट सत्र:- बजट सत्र के दौरान, सरकार आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बजट प्रस्तुत करती है। बजट में सरकारी खर्चों और आय के आंकड़े होते हैं। संसद में बजट पर चर्चा होती है और फिर इसे मंजूरी के लिए मतदान के लिए पेश किया जाता है।
निष्कर्ष
संसदीय सरकार और लोगों के प्रतिनिधि लोकतंत्र की बुनियाद हैं। भारतीय संसद, जिसमें लोक सभा और राज्य सभा शामिल हैं, जनता के प्रतिनिधियों द्वारा संचालित होती है। ये प्रतिनिधि चुनावों के माध्यम से चुने जाते हैं और संसद में जनता की आवाज उठाते हैं। उनके कार्यों में कानून बनाना, जनसमस्याएँ उठाना, और सार्वजनिक सेवाओं की निगरानी करना शामिल है। संसदीय प्रक्रिया के माध्यम से, सरकार की नीतियों और कार्यों पर पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है और देश की विकास की दिशा तय की जाती है।
इस प्रकार, संसदीय प्रणाली और जनप्रतिनिधि भारतीय लोकतंत्र की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे लोकतंत्र को प्रभावी और जवाबदेह बनाया जा सके।
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आध्याय | अध्याय का नाम |
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1. | संसाधन |
1A. | भूमि, मृदा एवं जल संसाधन |
1B. | वन एवं वन्य प्राणी संसाधन |
1C. | खनिज संसाधन |
1D. | ऊर्जा संसाधन |
2. | भारतीय कृषि |
3 | उद्योग |
3A | लौह-इस्पात उद्योग |
3B | वस्त्र उद्योग |
3C. | सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग |
4. | परिवहन |
5. | मानव संसाधन |
6. | एशिया (no Available notes) |
7 | भौगोलिक आँकड़ों का प्रस्तुतिकरण (no Available notes) |
अतीत से वर्तमान भाग 3 –कक्ष 8 सामाजिक विज्ञान – |
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सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन भाग 3 |
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अध्याय | अध्याय का नाम |
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1. | भारतीय संविधान |
2. | धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार |
3. | संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि) |
4. | कानून की समझ |
5. | न्यायपालिका |
6. | न्यायिक प्रक्रिया |
7. | सहकारिता |
8. | खाद्य सुरक्षा |