भारतीय कला का इतिहास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक विविधताओं और परिवर्तनों से भरा हुआ है। कला ने भारतीय समाज की सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
Bihar board class 8 social science history chapter 11 notes “कला क्षेत्र में परिवर्तन” में हम भारतीय कला के विकास, उसके विभिन्न चरणों और कला क्षेत्र में हुए परिवर्तनों का विश्लेषण करेंगे। इस लेख में, हम भारतीय कला के विभिन्न रूपों जैसे चित्रकला, मूर्तिकला, वास्तुकला और कला के अन्य रूपों के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को समझेंगे।
Bihar board class 8 social science history chapter 11 notes – भारतीय कला का ऐतिहासिक परिदृश्य
भारतीय कला का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है और यह विभिन्न कालों और सांस्कृतिक प्रभावों से प्रभावित रही है। भारतीय कला का यह विकास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक एक यात्रा का हिस्सा है, जिसमें विभिन्न शैलियाँ, प्रवृत्तियाँ, और पारंपरिक रूप शामिल हैं।
प्राचीन काल की कला
- गुफा चित्रकला: प्राचीन भारत में गुफा चित्रकला का एक विशेष स्थान है। अजंता और एलोरा की गुफाएँ इस काल की प्रमुख चित्रकला का उदाहरण हैं। इन गुफाओं में बौद्ध और जैन धर्म से संबंधित चित्रकला देखने को मिलती है। चित्रों में धार्मिक कथाएँ, देवता, और बोधिसत्वों की छवियाँ होती हैं।
- मूर्तिकला: प्राचीन भारत में मूर्तिकला का भी महत्वपूर्ण स्थान था। महाबोधि मंदिर की मूर्तियाँ, बुद्ध के जीवन से संबंधित दृश्य, और खजुराहो के मंदिरों की मूर्तियाँ इस काल की महान कला कृतियाँ हैं। इन मूर्तियों में धार्मिक और दैवीय आकृतियों को दिखाया गया है, जो उस समय की धार्मिक मान्यताओं और कलात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।
- वास्तुकला: प्राचीन भारतीय वास्तुकला में मौर्य काल और गुप्त काल की वास्तुकला प्रमुख रही। अशोक के स्तूप और पिलर, और गुप्त काल के मंदिर जैसे कांची, अजंता, और एलोरा के मंदिर इस काल के स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इन वास्तुकला की विशेषताएँ परिष्कृत सजावट, जटिल डिजाइन, और धार्मिक महत्व को दर्शाती हैं।
मध्यकाल की कला
- राजपूत और कांगड़ा चित्रकला: मध्यकाल में, भारतीय चित्रकला में राजपूत और कांगड़ा शैली का महत्वपूर्ण योगदान था। राजपूत चित्रकला में रॉयल परिवारों की जीवनशैली, युद्ध, और प्रेम कहानियों का चित्रण किया गया। कांगड़ा चित्रकला में सुंदर प्राकृतिक दृश्यों और धार्मिक चित्रों को दर्शाया गया।
- मुग़ल चित्रकला: मुग़ल काल में चित्रकला ने एक नया आयाम प्राप्त किया। अकबर के दरबार में नियुक्त चित्रकारों ने मुग़ल शैली की चित्रकला को प्रोत्साहित किया। इस काल की चित्रकला में वस्त्र, पोशाक, और दरबारी जीवन के जटिल विवरण देखने को मिलते हैं। अकबर, जहांगीर और शाहजहाँ के शासनकाल में इस शैली ने विशेष लोकप्रियता प्राप्त की।
- वास्तुकला: मुग़ल वास्तुकला का सबसे अच्छा उदाहरण ताजमहल है। इस काल की वास्तुकला में भव्यता, जटिल डिजाइन, और उत्कृष्ट आभूषण की विशेषताएँ देखने को मिलती हैं। इस समय की अन्य महत्वपूर्ण वास्तुकला के उदाहरणों में लाल किला, फतेहपुर सीकरी, और शाहजहाँ के अन्य निर्माण शामिल हैं।
आधुनिक काल की कला
- ब्रिटिश काल की कला: ब्रिटिश काल के दौरान भारतीय कला में पश्चिमी प्रभाव दिखाई देने लगा। यूरोपीय चित्रकला की तकनीकें और शैलियाँ भारतीय कला में समाहित हो गईं। इस काल के दौरान भारतीय चित्रकारों ने पश्चिमी कला शैलियों को अपनाया और भारतीय विषयों को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया।
- स्वाधीनता संग्राम और कला: स्वाधीनता संग्राम के दौरान, कला ने एक राष्ट्रीय आंदोलन का हिस्सा बन गया। कला का उपयोग स्वतंत्रता संग्राम के प्रचार और राष्ट्रवादी विचारों को फैलाने के लिए किया गया। इस समय के चित्रकारों ने भारतीय संस्कृति, परंपराओं और स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीकों को अपनी कला में शामिल किया।
- समकालीन कला: स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, भारतीय कला में एक नई चेतना और विविधता देखने को मिली। समकालीन कला में विभिन्न शैलियों और तकनीकों का प्रयोग हुआ। पेंटिंग, मूर्तिकला, और समकालीन कला की अन्य शैलियों में सामाजिक मुद्दों, राजनीतिक टिप्पणी, और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति को दर्शाया गया।
कला में परिवर्तन और प्रभाव
- कला के माध्यम और तकनीकें: आधुनिक काल में, कला के माध्यम और तकनीकें तेजी से बदल गई हैं। पारंपरिक चित्रकला के साथ-साथ आधुनिक मीडिया और डिजिटल कला ने भारतीय कला पर एक नया प्रभाव डाला है। चित्रकला में उपयोग की जाने वाली सामग्री, तकनीक, और प्रस्तुति के तरीके में बदलाव आया है।
- शैक्षणिक और संस्थागत प्रभाव: भारतीय कला के विकास में शैक्षणिक और संस्थागत प्रभाव भी महत्वपूर्ण रहा है। विभिन्न कला संस्थान और विश्वविद्यालयों ने कला शिक्षा को बढ़ावा दिया और कला के प्रति जागरूकता बढ़ाई। इन संस्थानों ने नई शैलियों और तकनीकों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- वैश्विक प्रभाव और आदान-प्रदान: वैश्वीकरण के कारण, भारतीय कला पर वैश्विक प्रभाव भी पड़ा है। भारतीय कलाकारों ने अंतरराष्ट्रीय कला मंच पर अपनी पहचान बनाई है और भारतीय कला ने वैश्विक कला बाजार में अपनी जगह बनाई है। विभिन्न देशों और संस्कृतियों के बीच कला के आदान-प्रदान ने नई शैलियों और विचारों को जन्म दिया है।
निष्कर्ष
कला क्षेत्र में परिवर्तन भारतीय समाज और संस्कृति के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। बिहार बोर्ड कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान इतिहास के ग्यारहवें अध्याय “कला क्षेत्र में परिवर्तन” में हम भारतीय कला के ऐतिहासिक विकास, विभिन्न कालों में हुए परिवर्तनों, और आधुनिक समय में कला के वर्तमान स्वरूप का विश्लेषण करते हैं।
प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक, भारतीय कला ने समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया है और कला के माध्यम से मानवता की विविधताओं को समझने का अवसर प्रदान किया है। आशा है कि यह लेख छात्रों को उनके पाठ्यक्रम के अध्ययन में सहायक सिद्ध होगा और उन्हें भारतीय कला के विकास और परिवर्तनों के बारे में गहरी समझ प्रदान करेगा।
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आध्याय | अध्याय का नाम |
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1. | संसाधन |
1A. | भूमि, मृदा एवं जल संसाधन |
1B. | वन एवं वन्य प्राणी संसाधन |
1C. | खनिज संसाधन |
1D. | ऊर्जा संसाधन |
2. | भारतीय कृषि |
3 | उद्योग |
3A | लौह-इस्पात उद्योग |
3B | वस्त्र उद्योग |
3C. | सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग |
4. | परिवहन |
5. | मानव संसाधन |
6. | एशिया (no Available notes) |
7 | भौगोलिक आँकड़ों का प्रस्तुतिकरण (no Available notes) |
अतीत से वर्तमान भाग 3 –कक्ष 8 सामाजिक विज्ञान – |
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सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन भाग 3 |
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अध्याय | अध्याय का नाम |
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1. | भारतीय संविधान |
2. | धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार |
3. | संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि) |
4. | कानून की समझ |
5. | न्यायपालिका |
6. | न्यायिक प्रक्रिया |
7. | सहकारिता |
8. | खाद्य सुरक्षा |