खनिज संसाधन – Bihar Board Class 8 Social Science Chapter 1C Notes

खनिज संसाधन किसी भी देश की आर्थिक प्रगति और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये संसाधन हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं में शामिल होते हैं, चाहे वह बिजली उत्पादन हो, औद्योगिक गतिविधियाँ हों, या फिर दैनिक जीवन के उपयोगी वस्त्र और उपकरण। इस लेख में, हम Bihar Board Class 8 Social Science Chapter 1C Notes, “खनिज संसाधन“, के नोट्स पर चर्चा करेंगे।

Bihar Board Class 8 Social Science Chapter 1C Notes

इस तरह, खनिज संसाधन न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण हैं और इनका प्रबंधन और संरक्षण हमारे देश के सतत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Bihar Board Class 8 Social Science Chapter 1C Notes in hindi – खनिज संसाधन क्या है ?

खनिज संसाधन वे प्राकृतिक संपदाएँ हैं जो पृथ्वी की परत में पाई जाती हैं। ये संसाधन ठोस, तरल या गैस के रूप में हो सकते हैं और इनका उपयोग विभिन्न उद्योगों में होता है। खनिज संसाधन मुख्य रूप से धात्विक और अधात्विक खनिजों में विभाजित होते हैं। धात्विक खनिज जैसे लौह अयस्क, तांबा, सोना आदि धातुओं के उत्पादन में प्रयोग होते हैं, जबकि अधात्विक खनिज जैसे चूना पत्थर, कोयला, अभ्रक आदि का उपयोग निर्माण और ऊर्जा उत्पादन में होता है।

खनिज संसाधनों का महत्व:- खनिज संसाधनों का महत्व अत्यधिक है। ये संसाधन देश की औद्योगिक और आर्थिक उन्नति के लिए आवश्यक हैं। खनिज संसाधन निम्नलिखित तरीकों से महत्वपूर्ण हैं:

  • उद्योगों में उपयोग: विभिन्न उद्योगों में धातुओं और खनिजों की आवश्यकता होती है। इस्पात उद्योग में लौह अयस्क का उपयोग होता है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में तांबा और सोना जैसी धातुओं की आवश्यकता होती है।
  • ऊर्जा उत्पादन: कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे खनिज संसाधन ऊर्जा उत्पादन के प्रमुख स्रोत हैं। कोयला का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए होता है और पेट्रोलियम का उपयोग वाहनों और उद्योगों में ईंधन के रूप में होता है।
  • आर्थिक विकास: खनिज संसाधन किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करते हैं। खनिज संपदा की खदानों से प्राप्त आय सरकार के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत होती है।

भारत में खनिज संसाधनों का वितरण:- भारत में खनिज संसाधनों का वितरण असमान है। देश के कुछ क्षेत्रों में खनिज संपदा प्रचुर मात्रा में पाई जाती है, जबकि अन्य क्षेत्रों में इसका अभाव है। प्रमुख खनिज संसाधनों का वितरण इस प्रकार है:

  • लौह अयस्क: लौह अयस्क भारत के झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ये राज्य इस्पात उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं।
  • बॉक्साइट: बॉक्साइट भारत में मुख्य रूप से उड़ीसा, गुजरात, झारखंड और महाराष्ट्र में पाया जाता है। इसका उपयोग एल्यूमिनियम के उत्पादन में किया जाता है।
  • कोयला: भारत में कोयला खदानों का सबसे बड़ा भंडार झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में है। कोयला भारत के ऊर्जा उत्पादन का प्रमुख स्रोत है।
  • तांबा: तांबा राजस्थान, मध्य प्रदेश और झारखंड में पाया जाता है। यह धातु विद्युत तार, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और अन्य उपयोगी वस्तुओं के उत्पादन में काम आती है।

बिहार में खनिज संसाधन:- बिहार में खनिज संसाधनों की प्रचुरता सीमित है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण खनिज जैसे अभ्रक, चुना पत्थर और ग्रेनाइट यहाँ पाए जाते हैं। बिहार के गया, नवादा और मुंगेर जिलों में अभ्रक की खदानें हैं। अभ्रक का उपयोग विद्युत उपकरणों, रंग, कॉस्मेटिक और औषधियों के उत्पादन में होता है।

खनिज संसाधनों के उपयोग से संबंधित चुनौतियाँ:- हालाँकि खनिज संसाधन विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, इनके उपयोग में कुछ चुनौतियाँ भी हैं:

  • खनिजों का अत्यधिक दोहन: खनिजों का अत्यधिक दोहन संसाधनों की समाप्ति की ओर ले जाता है। इसके कारण पर्यावरणीय असंतुलन भी उत्पन्न होता है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: खनन गतिविधियों से पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुँचता है। जंगलों की कटाई, भूमि का क्षरण और जल स्रोतों का प्रदूषण प्रमुख पर्यावरणीय समस्याएँ हैं।
  • विस्थापन और सामाजिक समस्याएँ: खनन क्षेत्रों में लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही, स्थानीय समुदायों में रोजगार के अवसरों की कमी और सामाजिक तनाव भी उत्पन्न होते हैं।

खनिज संसाधनों के संरक्षण के उपाय:- खनिज संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनका उपयोग कर सकें। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • पुनर्चक्रण: धातुओं और खनिजों का पुनर्चक्रण करके इनका संरक्षण किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, पुराने उपकरणों और वाहनों से धातुओं को पुनः उपयोग में लाया जा सकता है।
  • सतत खनन: खनिज संसाधनों के दोहन के दौरान पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए खनन की प्रक्रियाओं को सुधारना चाहिए। सतत खनन में पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  • नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग: ऊर्जा उत्पादन के लिए नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करके खनिज संसाधनों पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल विद्युत जैसे स्रोत इस दिशा में सहायक हो सकते हैं।

निष्कर्ष

खनिज संसाधन किसी भी देश की प्रगति और विकास के आधार होते हैं। इनके बिना औद्योगिक विकास संभव नहीं है। हालाँकि, इनके उपयोग में विवेकपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना अत्यावश्यक है ताकि संसाधनों की उपलब्धता भविष्य में भी बनी रहे। सतत विकास के सिद्धांतों को अपनाकर खनिज संसाधनों का संतुलित उपयोग किया जा सकता है।

Bihar Board Class 8 Social Science Chapter 1C Notes में भी इस विषय पर चर्चा की गई है, जिसमें विद्यार्थियों को खनिज संसाधनों की महत्ता, उनके वितरण और उनके संरक्षण के बारे में जानकारी दी जाती है।

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आध्याय अध्याय का नाम
1.संसाधन
1A.भूमि, मृदा एवं जल संसाधन
1B.वन एवं वन्य प्राणी संसाधन
1C.खनिज संसाधन
1D.ऊर्जा संसाधन
2.भारतीय कृषि
3उद्योग
3Aलौह-इस्पात उद्योग
3Bवस्त्र उद्योग
3C.सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग
4.परिवहन
5.मानव संसाधन
6.एशिया (no Available notes)
7भौगोलिक आँकड़ों का प्रस्तुतिकरण (no Available notes)
कक्ष 8 सामाजिक विज्ञानअतीत से वर्तमान भाग 3
आध्याय अध्याय का नाम
1.कब, कहाँ और कैसे
2.भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना
3.ग्रामीण ज़ीवन और समाज
4.उपनिवेशवाद एवं जनजातीय समाज
5.शिल्प एवं उद्योग
6.अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष (1857 का विद्रोह)
7.ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा
8.जातीय व्यवस्था की चुनौतियाँ
9.महिलाओं की स्थिति एवं सुधार
10.अंग्रेजी शासन एवं शहरी बदलाव
11.कला क्षेत्र में परिवर्तन
12.राष्ट्रीय आन्दोलन (1885-1947)
13.स्वतंत्रता के बाद विभाजित भारत का जन्म
14.हमारे इतिहासकार कालीकिंकर दत्त (1905-1982)
सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन भाग 3
अध्यायअध्याय का नाम
1.भारतीय संविधान
2.धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार
3.संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि)
4.कानून की समझ
5.न्यायपालिका
6.न्यायिक प्रक्रिया
7.सहकारिता
8.खाद्य सुरक्षा

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