तड़ित ओर भूकम्प : प्रकुति के दो भयानक रूप- Bihar Board Class 8 Science Chapter 2 Notes

प्रकृति के दो भयानक रूप तड़ित (Lightning) और भूकम्प (Earthquake) हैं, जो पृथ्वी पर जीवन के लिए गंभीर खतरे पैदा करते हैं। तड़ित और भूकम्प दोनों ही प्राकृतिक आपदाएँ हैं, जो अचानक घटित होती हैं और इनके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर विनाश हो सकता है।

Bihar Board Class 8 Science Chapter 2 Notes

इस लेख में हम “तड़ित और भूकम्प: प्रकृति के दो भयानक रूप – Bihar Board Class 8 Science Chapter 2 Notes” के तहत इन दोनों प्राकृतिक घटनाओं को विस्तार से समझेंगे।

कक्षा 8वी विज्ञानं – तड़ित ओर भूकम्प – Bihar Board Class 8 Science Chapter 2 Notes

तड़ित या बिजली चमकना एक प्राकृतिक विद्युत घटना है जो आकाश में बादलों के बीच या बादलों और पृथ्वी के बीच होती है। यह तेज रोशनी और गर्जना के साथ होती है और इसके कारण बिजली का भारी संचार होता है।

तड़ित का विज्ञान:

  • वायुमंडलीय स्थिति: तड़ित का निर्माण वायुमंडल में अस्थिरता के कारण होता है। जब आकाश में बादल बनते हैं, तो उनके अंदर पानी की बूंदें, बर्फ के कण, और अन्य पदार्थ परस्पर घर्षण करते हैं। इस घर्षण के कारण स्थैतिक विद्युत का निर्माण होता है।
  • धनात्मक और ऋणात्मक चार्ज: बादलों में धनात्मक और ऋणात्मक चार्ज का पृथक्करण होता है। बादल का ऊपरी हिस्सा धनात्मक चार्ज और निचला हिस्सा ऋणात्मक चार्ज से भरा होता है।
  • विद्युत निर्वहन: जब चार्ज का अंतर बहुत अधिक हो जाता है, तो बिजली का निर्वहन होता है। यह निर्वहन बादलों के बीच या बादलों और पृथ्वी के बीच होता है, जिससे तड़ित उत्पन्न होती है।

तड़ित के प्रकार:

  • क्लाउड-टू-क्लाउड (Cloud-to-Cloud): यह तड़ित बादलों के बीच होती है। यह सबसे सामान्य प्रकार की तड़ित है।
  • क्लाउड-टू-ग्राउंड (Cloud-to-Ground): यह तड़ित बादलों और पृथ्वी के बीच होती है। यह सबसे खतरनाक प्रकार की तड़ित है क्योंकि यह पृथ्वी पर गिरती है और जीवन और संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकती है।
  • क्लाउड-टू-एयर (Cloud-to-Air): यह तड़ित बादलों और वायुमंडल के बीच होती है।

तड़ित के प्रभाव:- तड़ित के कई प्रभाव होते हैं, जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं:

  • जीवन की हानि: तड़ित के सीधे संपर्क में आने से व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। बिजली का तेज प्रवाह शरीर के अंदरुनी अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • आग लगना: तड़ित के कारण जंगलों, घरों, और अन्य स्थानों पर आग लग सकती है।
  • विद्युत उपकरणों का नुकसान: तड़ित के कारण विद्युत उपकरण और संरचनाएँ नष्ट हो सकती हैं।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: तड़ित के कारण वायुमंडल में नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्पादन होता है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है।

तड़ित से सुरक्षा:- तड़ित से सुरक्षा के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • सुरक्षित स्थान पर शरण लें: जब तड़ित की संभावना हो, तो सुरक्षित स्थान पर शरण लें। खुले मैदान, पानी के स्रोत, और पेड़ों के नीचे से दूर रहें।
  • बिजली के उपकरण बंद करें: बिजली के उपकरणों को बंद कर दें और प्लग निकाल दें।
  • वाहनों में सुरक्षित रहें: यदि आप वाहन में हैं, तो उसमें ही सुरक्षित रहें और खिड़कियाँ बंद रखें।
  • तड़ित चालन प्रणाली: घरों और ऊंची इमारतों पर तड़ित चालन प्रणाली (Lightning Conductor) का उपयोग करें, जो तड़ित को जमीन में ले जाती है और सुरक्षा प्रदान करती है।

भूकम्प क्या है?

भूकम्प एक प्राकृतिक घटना है जिसमें पृथ्वी की सतह अचानक हिलने लगती है। यह पृथ्वी के अंदरुनी हिस्सों में ऊर्जा के अचानक मुक्त होने के कारण होता है। भूकम्प के कारण भूगर्भीय प्लेटों का आपसी घर्षण होता है।

  • भूकम्प का विज्ञान: टेक्टोनिक प्लेट्स: पृथ्वी की सतह पर टेक्टोनिक प्लेट्स होती हैं जो लगातार गति करती रहती हैं। इनके आपसी घर्षण और टकराव से भूकम्प उत्पन्न होते हैं।
  • फॉल्ट लाइन: जब टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में टकराती हैं या खिसकती हैं, तो फॉल्ट लाइन पर तनाव उत्पन्न होता है। जब यह तनाव अधिक हो जाता है, तो अचानक मुक्त होता है और भूकम्प उत्पन्न होता है।
  • भूकम्प के केंद्र और उपकेंद्र: भूकम्प का केंद्र वह बिंदु होता है जहाँ ऊर्जा मुक्त होती है। इसका उपकेंद्र वह बिंदु होता है जो पृथ्वी की सतह पर केंद्र के सीध में होता है।

भूकम्प के प्रभाव:- भूकम्प के कई प्रभाव होते हैं, जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं:

  • जीवन और संपत्ति की हानि: भूकम्प के कारण भवन गिर सकते हैं, जिससे जीवन और संपत्ति की हानि हो सकती है।
  • सुनामी: समुद्री भूकम्प के कारण सुनामी उत्पन्न हो सकती है, जिससे समुद्र के तटवर्ती क्षेत्रों में भारी नुकसान हो सकता है।
  • भूस्खलन: भूकम्प के कारण पहाड़ियों और पर्वतों में भूस्खलन हो सकता है, जिससे मार्ग अवरुद्ध हो सकते हैं और संपत्ति का नुकसान हो सकता है।
  • वायुमंडलीय प्रभाव: भूकम्प के कारण वायुमंडल में धूल और गैसें फैल सकती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं।

भूकम्प से सुरक्षा:- भूकम्प से सुरक्षा के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • सुरक्षित निर्माण: भवनों और संरचनाओं को भूकम्प रोधी तकनीकों से बनाया जाना चाहिए। मजबूत नींव और लचीले ढांचे का उपयोग करना चाहिए।
  • आपातकालीन योजना: भूकम्प के समय के लिए एक आपातकालीन योजना तैयार करनी चाहिए। इसमें सुरक्षित स्थान, निकासी मार्ग, और आवश्यक वस्त्र और आपूर्ति शामिल होनी चाहिए।
  • तुरंत शरण लें: भूकम्प के दौरान तुरंत शरण लें। घर के अंदर हों तो मजबूत फर्नीचर के नीचे छुपें और घर के बाहर हों तो खुले मैदान में जाएं।
  • बचाव और राहत: भूकम्प के बाद बचाव और राहत कार्यों के लिए तैयार रहें। स्थानीय अधिकारियों और आपदा प्रबंधन संगठनों के निर्देशों का पालन करें।

तड़ित और भूकम्प के बीच अंतर:- तड़ित और भूकम्प दोनों ही प्राकृतिक आपदाएँ हैं, लेकिन इनके बीच कई अंतर होते हैं:

  • उत्पत्ति: तड़ित वायुमंडलीय अस्थिरता और विद्युत निर्वहन के कारण होती है, जबकि भूकम्प भूगर्भीय प्लेटों के आपसी घर्षण और तनाव के कारण होता है।
  • प्रभाव: तड़ित का प्रभाव विद्युत प्रवाह, आग, और उपकरणों के नुकसान के रूप में होता है, जबकि भूकम्प का प्रभाव भवनों के गिरने, सुनामी, और भूस्खलन के रूप में होता है।
  • पूर्वानुमान: तड़ित के पूर्वानुमान के लिए मौसम विज्ञान का उपयोग किया जाता है, जबकि भूकम्प का पूर्वानुमान भूगर्भीय उपकरणों और अनुसंधान के माध्यम से किया जाता है।
  • सुरक्षा उपाय: तड़ित से सुरक्षा के लिए तड़ित चालन प्रणाली और सुरक्षित शरण लेना आवश्यक होता है, जबकि भूकम्प से सुरक्षा के लिए मजबूत निर्माण, आपातकालीन योजना, और तत्काल शरण लेना आवश्यक होता है।

भूकम्प मापन: भूकम्प की तीव्रता को रिक्टर स्केल पर मापा जाता है। यह स्केल 1 से 10 तक होता है, जिसमें हर बढ़ते अंक के साथ भूकम्प की तीव्रता दस गुना बढ़ जाती है।

भूकम्पीय क्षेत्र: भारत में भूकम्पीय क्षेत्रों को चार जोन में विभाजित किया गया है:

  • जोन I: यहाँ भूकम्प की संभावना कम होती है।
  • जोन II: यहाँ भूकम्प की मध्यम संभावना होती है।
  • जोन III: यहाँ भूकम्प की अधिक संभावना होती है।
  • जोन IV: यहाँ भूकम्प की अत्यधिक संभावना होती है।

तड़ित के वैज्ञानिक अनुसंधान: तड़ित के अध्ययन के लिए वैज्ञानिक विभिन्न प्रकार के उपकरणों का उपयोग करते हैं, जैसे कि तड़ित डिटेक्टर, उच्च गति वाले कैमरे, और विद्युत क्षेत्र मापने वाले उपकरण। इन उपकरणों के माध्यम से तड़ित के कारण और इसके प्रभावों का विश्लेषण किया जाता है।

तड़ित और भूकम्प के ऐतिहासिक उदाहरण:

  • तड़ित: 1752 में बेंजामिन फ्रैंकलिन ने अपने प्रसिद्ध पतंग प्रयोग के माध्यम से तड़ित का अध्ययन किया था, जिसमें उन्होंने यह सिद्ध किया कि तड़ित विद्युत का एक रूप है।
  • भूकम्प: 2001 में गुजरात, भारत में आए भूकम्प ने बड़े पैमाने पर विनाश किया था और हजारों लोगों की जान ले ली थी। यह भूकम्प 7.7 रिक्टर स्केल पर था और इसका केंद्र भुज के पास था।

निष्कर्ष

तड़ित और भूकम्प दोनों ही प्राकृतिक आपदाएँ हैं जो जीवन और संपत्ति के लिए गंभीर खतरे पैदा करती हैं। इनके बारे में जागरूकता और सुरक्षा उपाय हमें इनके प्रभावों से बचाने में मदद कर सकते हैं। इस लेख में “तड़ित और भूकम्प: प्रकृति के दो भयानक रूप – Bihar Board Class 8 Science Chapter 2 Notes” के तहत हमने तड़ित

और भूकम्प के विज्ञान, प्रभाव, और सुरक्षा उपायों के बारे में विस्तार से चर्चा की है। आशा है कि यह जानकारी विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी और उन्हें इन प्राकृतिक आपदाओं के बारे में बेहतर समझ प्रदान करेगी।

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