अंग्रेजी शासन एवं शहरी बदलाव – BSEB class 8 social science history chapter 10 notes

अंग्रेजी शासन का भारत के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक ढांचे पर गहरा प्रभाव पड़ा। इनमें से एक महत्वपूर्ण प्रभाव शहरीकरण और शहरी बदलाव था, जो अंग्रेजों की नीतियों और उद्देश्यों से प्रेरित था। अंग्रेजों ने भारत में शहरीकरण को केवल व्यापार और प्रशासन के केंद्रों तक सीमित नहीं रखा,

BSEB class 8 social science history chapter 10 notes

बल्कि इससे सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव भी आए। इस लेख में, हम “BSEB Class 8 Social Science History Chapter 10 Notes” के तहत अंग्रेजी शासन के दौरान हुए शहरी बदलावों का विस्तार से अध्ययन करेंगे।

BSEB class 8 social science history chapter 10 notes – अंग्रेजों का भारत में आगमन और शहरीकरण की शुरुआत

अंग्रेजों का भारत में आगमन 1600 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के साथ हुआ। धीरे-धीरे उन्होंने व्यापार के माध्यम से अपनी पकड़ मजबूत की और 1757 के प्लासी के युद्ध के बाद भारत में राजनीतिक शक्ति हासिल कर ली। अंग्रेजों ने अपने व्यापारिक और प्रशासनिक केंद्रों के रूप में प्रमुख शहरों का विकास किया, जो शहरीकरण की नींव बने।

प्रमुख शहरी केंद्रों का विकास:- अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में कई प्रमुख शहरों का विकास किया, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

  • कलकत्ता (अब कोलकाता):- कलकत्ता अंग्रेजी शासन का पहला राजधानी शहर था, जिसे 1773 में बंगाल की राजधानी घोषित किया गया। अंग्रेजों ने इसे अपने प्रशासनिक, सैन्य और व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित किया। कलकत्ता में कई सरकारी भवनों, किलों और अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण हुआ। यह शहर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का भी एक प्रमुख केंद्र बना।
  • बॉम्बे (अब मुंबई):- बॉम्बे अंग्रेजी शासन के दौरान एक प्रमुख बंदरगाह नगर के रूप में उभरा। इसका विकास अंग्रेजों द्वारा 1668 में बॉम्बे के द्वीपों को पुर्तगालियों से प्राप्त करने के बाद हुआ। बॉम्बे को व्यापारिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण माना गया, जहां से अंग्रेजों ने कपास, जूट, और अन्य वस्त्रों का व्यापार किया। बॉम्बे में औद्योगीकरण और रेलवे का भी तेजी से विकास हुआ।
  • मद्रास (अब चेन्नई):- मद्रास अंग्रेजी शासन के दौरान दक्षिण भारत का प्रमुख प्रशासनिक केंद्र था। अंग्रेजों ने 1639 में मद्रासपटनम नामक क्षेत्र में अपने व्यापारिक केंद्र की स्थापना की, जिसे बाद में मद्रास नाम से जाना गया। मद्रास में भी बंदरगाह का विकास हुआ और यह अंग्रेजी व्यापार के लिए महत्वपूर्ण स्थान बन गया।
  • दिल्ली:- दिल्ली का महत्व अंग्रेजी शासन के दौरान बढ़ा, खासकर 1911 में जब अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित की। नई दिल्ली का निर्माण किया गया, जिसमें राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और अन्य सरकारी भवन शामिल थे। दिल्ली का शहरीकरण अंग्रेजी प्रशासनिक संरचना का प्रतीक बन गया।

शहरीकरण के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:- अंग्रेजी शासन के दौरान शहरीकरण का भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा। शहरीकरण ने न केवल आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि की, बल्कि भारतीय समाज की संरचना को भी बदल दिया।

  • आर्थिक प्रभाव:- अंग्रेजों ने भारतीय शहरों में आधुनिक उद्योगों की स्थापना की। इनमें कपास, जूट, और अन्य वस्त्र उद्योग प्रमुख थे। इन उद्योगों ने न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा किए, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी अंग्रेजी व्यापार के अधीन कर दिया। इसके अलावा, अंग्रेजों ने भारत में रेल, सड़क, और बंदरगाहों का विकास किया, जो शहरीकरण के विस्तार में महत्वपूर्ण थे।
  • सामाजिक प्रभाव:- शहरीकरण ने ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों को शहरों की ओर आकर्षित किया। रोजगार की तलाश में लोग शहरों की ओर पलायन करने लगे, जिससे शहरी जनसंख्या में वृद्धि हुई। शहरों में नए सामाजिक समूहों का उदय हुआ, जिसमें मजदूर वर्ग, व्यापारिक वर्ग, और मध्य वर्ग प्रमुख थे। शहरीकरण के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा और पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव भी बढ़ा, जिसने भारतीय समाज में नई सोच और जागरूकता का संचार किया।
  • सांस्कृतिक प्रभाव:- शहरीकरण के दौरान अंग्रेजी शासन ने भारतीय संस्कृति पर भी गहरा प्रभाव डाला। अंग्रेजी भाषा और पश्चिमी शिक्षा का प्रसार तेजी से हुआ। इसके परिणामस्वरूप भारतीय समाज में नई सांस्कृतिक जागरूकता और विचारधारा का उदय हुआ। अंग्रेजों द्वारा बनाए गए स्कूलों और कॉलेजों ने भारतीयों को आधुनिक शिक्षा से परिचित कराया, जिससे भारतीय समाज में वैज्ञानिक सोच और नवीनता का विकास हुआ।
  • शहरीकरण की चुनौतियाँ:- अंग्रेजी शासन के दौरान शहरीकरण ने कई चुनौतियों को भी जन्म दिया। शहरों में जनसंख्या वृद्धि के कारण बुनियादी सुविधाओं की कमी हो गई। साफ-सफाई, पेयजल, और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी ने शहरी जीवन को कठिन बना दिया। इसके अलावा, शहरीकरण के कारण पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न हुईं, जिसमें प्रदूषण, कचरे का निपटान, और हरित क्षेत्रों की कमी प्रमुख थी।

अंग्रेजी शासन में शहरी ढांचे में परिवर्तन:- अंग्रेजों ने अपने शहरीकरण के प्रयासों के तहत शहरों की संरचना को भी बदला। अंग्रेजी शासन के दौरान शहरों में कई बदलाव देखे गए:

  • किलों और बंदरगाहों का निर्माण:- अंग्रेजों ने अपने शासन के दौरान कई किलों और बंदरगाहों का निर्माण किया। इन किलों का निर्माण सैन्य और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए किया गया था। मुंबई में बॉम्बे किला, चेन्नई में सेंट जॉर्ज किला और कलकत्ता में फोर्ट विलियम प्रमुख उदाहरण हैं।
  • आधुनिक प्रशासनिक भवनों का निर्माण:- अंग्रेजों ने शहरों में आधुनिक प्रशासनिक भवनों का निर्माण किया। इनमें सचिवालय, न्यायालय, और अन्य सरकारी भवन शामिल थे। दिल्ली में राष्ट्रपति भवन और संसद भवन, मुंबई में विक्टोरिया टर्मिनस, और कोलकाता में विक्टोरिया मेमोरियल भवन इसका उदाहरण हैं।
  • रेलवे और परिवहन का विकास:- अंग्रेजों ने भारत में रेलवे का व्यापक विकास किया, जो शहरीकरण का एक प्रमुख घटक बना। रेलवे ने न केवल शहरों को आपस में जोड़ा, बल्कि औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया। इसके अलावा, सड़कों और पुलों का भी निर्माण हुआ, जिसने शहरीकरण को और अधिक गति दी।
  • शहरीकरण के परिणाम:- अंग्रेजी शासन के दौरान शहरीकरण के परिणामस्वरूप भारत में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। यह शहरीकरण भारतीय समाज में नई जागरूकता और आधुनिकता का संचार लेकर आया। इसके अलावा, शहरीकरण ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को भी प्रभावित किया, क्योंकि शहरों में नई सोच और राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ।

शहरीकरण ने भारतीय समाज में असमानता को भी जन्म दिया। शहरों में रहने वाले गरीब मजदूर वर्ग और संपन्न व्यापारिक वर्ग के बीच आर्थिक और सामाजिक विभाजन बढ़ता गया। इसके साथ ही, पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न हुईं, जिसने शहरी जीवन को और अधिक कठिन बना दिया।

निष्कर्ष

अंग्रेजी शासन के दौरान भारत में शहरी बदलाव ने देश के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक ढांचे को बदल दिया। इस शहरीकरण ने भारतीय समाज में आधुनिकता और नई सोच का संचार किया, लेकिन इसके साथ ही इसने कई चुनौतियों और समस्याओं को भी जन्म दिया। “BSEB Class 8 Social Science History Chapter 10 Notes” के तहत इस अध्याय का अध्ययन छात्रों को भारत के शहरीकरण की प्रक्रिया और उसके प्रभावों को समझने में मदद करेगा।

यह अध्याय न केवल इतिहास का अध्ययन करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वर्तमान शहरी जीवन की चुनौतियों और अवसरों को भी समझने में सहायक होगा।

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आध्याय अध्याय का नाम
1.संसाधन
1A.भूमि, मृदा एवं जल संसाधन
1B.वन एवं वन्य प्राणी संसाधन
1C.खनिज संसाधन
1D.ऊर्जा संसाधन
2.भारतीय कृषि
3उद्योग
3Aलौह-इस्पात उद्योग
3Bवस्त्र उद्योग
3C.सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग
4.परिवहन
5.मानव संसाधन
6.एशिया (no Available notes)
7भौगोलिक आँकड़ों का प्रस्तुतिकरण (no Available notes)
अतीत से वर्तमान भाग 3कक्ष 8 सामाजिक विज्ञान
आध्याय अध्याय का नाम
1.कब, कहाँ और कैसे
2.भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना
3.ग्रामीण ज़ीवन और समाज
4.उपनिवेशवाद एवं जनजातीय समाज
5.शिल्प एवं उद्योग
6.अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष (1857 का विद्रोह)
7.ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा
8.जातीय व्यवस्था की चुनौतियाँ
9.महिलाओं की स्थिति एवं सुधार
10.अंग्रेजी शासन एवं शहरी बदलाव
11.कला क्षेत्र में परिवर्तन
12.राष्ट्रीय आन्दोलन (1885-1947)
13.स्वतंत्रता के बाद विभाजित भारत का जन्म
14.हमारे इतिहासकार कालीकिंकर दत्त (1905-1982)
सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन भाग 3
अध्यायअध्याय का नाम
1.भारतीय संविधान
2.धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार
3.संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि)
4.कानून की समझ
5.न्यायपालिका
6.न्यायिक प्रक्रिया
7.सहकारिता
8.खाद्य सुरक्षा

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