भारत एक कृषि प्रधान देश है, और यहाँ की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। भारतीय कृषि न केवल खाद्य पदार्थों की आपूर्ति करती है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था का भी एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
इस लेख में हम Bihar board class 8th hamari duniya chapter 2 notes “भारतीय कृषि” के सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे न केवल शिक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे देश की आर्थिक और सामाजिक संरचना को समझने के लिए भी आवश्यक है।
भारतीय कृषि का इतिहास – Bihar board class 8th hamari duniya chapter 2 notes
भारतीय कृषि का इतिहास हज़ारों वर्षों पुराना है। यह सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर वर्तमान समय तक एक निरंतर प्रक्रिया रही है। सिंधु घाटी के लोग भी कृषि करते थे और गेहूं, जौ, चावल आदि की खेती करते थे। समय के साथ, भारतीय कृषि में कई बदलाव आए। हरित क्रांति, जो 1960 के दशक में शुरू हुई, ने भारतीय कृषि को पूरी तरह बदल दिया। इससे फसल उत्पादन में वृद्धि हुई और देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया।
कृषि के प्रकार:- भारत में कृषि के विभिन्न प्रकार हैं, जिन्हें मुख्यतः दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
- फसल आधारित कृषि: इसमें धान, गेहूं, बाजरा, ज्वार, मक्का आदि प्रमुख फसलें आती हैं। इन फसलों को मुख्यतः खरीफ और रबी सीजन में उगाया जाता है। खरीफ की फसलें जून से अक्टूबर के बीच उगाई जाती हैं, जबकि रबी की फसलें नवंबर से अप्रैल के बीच।
- व्यवसायिक कृषि: यह उन फसलों की खेती होती है जिनका उपयोग व्यापार के लिए किया जाता है, जैसे कपास, गन्ना, चाय, कॉफी आदि। इस प्रकार की कृषि से किसानों को अच्छी आय होती है।
भारतीय कृषि के लिए आवश्यक जलवायु:- भारतीय कृषि के लिए जलवायु की अहम भूमिका होती है। देश के विभिन्न हिस्सों में भिन्न-भिन्न जलवायु परिस्थितियाँ हैं, जिनके अनुसार फसलें उगाई जाती हैं। उदाहरण के लिए:
- धान: धान की खेती के लिए गर्म और नमी वाली जलवायु आवश्यक होती है। इसे आमतौर पर मानसून के दौरान उगाया जाता है।
- गेहूं: गेहूं की खेती के लिए ठंडी और सूखी जलवायु उपयुक्त होती है।
- कपास: कपास की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु आवश्यक होती है।
भारतीय कृषि में उपयोगी उपकरण और तकनीक:- भारतीय कृषि में विभिन्न प्रकार के उपकरण और तकनीक का उपयोग होता है, जो फसल उत्पादन को आसान और प्रभावी बनाते हैं। इनमें हल, ट्रैक्टर, बीज बोने की मशीन, हार्वेस्टर आदि प्रमुख हैं।
- हल: यह एक प्राचीन कृषि उपकरण है जिसका उपयोग जमीन को जोतने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक रूप से किया जाता है।
- ट्रैक्टर: आधुनिक कृषि में ट्रैक्टर का बहुत बड़ा योगदान है। यह न केवल जोताई करता है, बल्कि अन्य कई कार्य भी करता है जैसे फसल काटना, बीज बोना आदि।
- हार्वेस्टर: यह एक मशीन है जो फसलों को काटने और उनका प्रसंस्करण करने के लिए उपयोगी होती है।
भारतीय कृषि की चुनौतियाँ:- भारतीय कृषि कई चुनौतियों का सामना कर रही है। इनमें प्रमुख हैं:
- जल संकट: भारत में जल की कमी एक बड़ी समस्या है। सूखे की स्थिति में फसलों को पानी नहीं मिल पाता, जिससे फसल उत्पादन प्रभावित होता है।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन का असर कृषि पर बहुत अधिक पड़ रहा है। अनियमित वर्षा, तापमान में वृद्धि आदि समस्याएँ उत्पन्न कर रही हैं।
- मृदा की उर्वरता में कमी: अधिक रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मृदा की उर्वरता में कमी आ रही है, जिससे फसल उत्पादन घट रहा है।
- छोटे किसान: भारत में अधिकांश किसान छोटे किसान हैं, जिनके पास सीमित संसाधन होते हैं। उन्हें फसल उत्पादन के लिए पूंजी, तकनीक और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
भारतीय कृषि की सफलता की कहानियाँ:- भारतीय कृषि में कई सफलताओं की कहानियाँ भी हैं। इनमें से एक हरित क्रांति है, जिसने भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया। इसी प्रकार, कई राज्यों ने विशेष फसलों की खेती में उल्लेखनीय प्रगति की है, जैसे पंजाब और हरियाणा ने गेहूं उत्पादन में, जबकि पश्चिम बंगाल ने धान उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभाई है।
भारतीय कृषि में सरकारी योजनाएँ:- भारत सरकार ने कृषि के विकास के लिए कई योजनाएँ चलाई हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN): इस योजना के तहत सरकार छोटे और सीमांत किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: यह योजना किसानों को फसल नुकसान के खिलाफ बीमा प्रदान करती है।
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY): इस योजना के तहत राज्य सरकारों को कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
कृषि और ग्रामीण विकास का संबंध:- भारतीय कृषि और ग्रामीण विकास का गहरा संबंध है। कृषि पर आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि का प्रमुख योगदान है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का मुख्य स्रोत कृषि है। इसके अलावा, ग्रामीण विकास की योजनाएँ भी कृषि के इर्द-गिर्द ही घूमती हैं।
भारतीय कृषि का भविष्य:- भारतीय कृषि का भविष्य नई तकनीकों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। नई जैविक और आनुवंशिक तकनीकें, जैसे कि जैविक खेती, ड्रिप इरिगेशन, और फसल विविधीकरण, भारतीय कृषि के भविष्य को सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। इसके अलावा, किसानों को नई तकनीकों और बाजार की जानकारी देने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को आगे आना होगा।
निष्कर्ष
भारतीय कृषि न केवल खाद्य उत्पादन का स्रोत है, बल्कि यह भारतीय समाज की संस्कृति और जीवनशैली का भी अभिन्न हिस्सा है। कृषि के क्षेत्र में जो भी चुनौतियाँ हैं, उनका समाधान निकालना और कृषि को अधिक उत्पादक और लाभदायक बनाना हमारे लिए आवश्यक है। बिहार बोर्ड कक्षा 8 के छात्रों के लिए यह अध्याय न केवल कृषि के बुनियादी सिद्धांतों को समझने में मदद करेगा, बल्कि उन्हें भारतीय कृषि की विविधता और महत्व को भी समझाएगा।
bihar board class 8 social science solutions in hindi
आध्याय | अध्याय का नाम |
---|---|
1. | संसाधन |
1A. | भूमि, मृदा एवं जल संसाधन |
1B. | वन एवं वन्य प्राणी संसाधन |
1C. | खनिज संसाधन |
1D. | ऊर्जा संसाधन |
2. | भारतीय कृषि |
3 | उद्योग |
3A | लौह-इस्पात उद्योग |
3B | वस्त्र उद्योग |
3C. | सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग |
4. | परिवहन |
5. | मानव संसाधन |
6. | एशिया (no Available notes) |
7 | भौगोलिक आँकड़ों का प्रस्तुतिकरण (no Available notes) |
कक्ष 8 सामाजिक विज्ञान – अतीत से वर्तमान भाग 3 |
---|
सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन भाग 3 |
---|
अध्याय | अध्याय का नाम |
---|---|
1. | भारतीय संविधान |
2. | धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार |
3. | संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि) |
4. | कानून की समझ |
5. | न्यायपालिका |
6. | न्यायिक प्रक्रिया |
7. | सहकारिता |
8. | खाद्य सुरक्षा |