यह लेख “जैव विविधता -BSEB class 8th science chapter 12 Notes पर आधारित है। जैव विविधता (Biodiversity) से अभिप्राय पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीव-जंतुओं और पौधों की विभिन्नता से है। इसमें सभी जीवित प्रजातियाँ, उनकी पारिस्थितिक तंत्र में भूमिका, और उनका पारस्परिक संबंध शामिल होता है। यह जीवों के पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
BSEB Class 8th Science Chapter 12 Notes में हम जैव विविधता, इसके महत्व, इसके घटकों, और इसे बनाए रखने के तरीकों के बारे में जानेंगे।
जैव विविधता की परिभाषा: BSEB class 8th science chapter 12 Notes
जैव विविधता का अर्थ है पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवों की विभिन्नता। यह विभिन्न जीव प्रजातियों, पारिस्थितिक तंत्रों और आनुवंशिक भिन्नताओं को दर्शाती है। जैव विविधता न केवल जीवों की संख्या से जुड़ी होती है, बल्कि उनके बीच के विविध संबंधों और उनकी विशेषताओं पर भी निर्भर करती है।
जैव विविधता के तीन प्रमुख घटक होते हैं:
- प्रजातियों की विविधता (Species Diversity): इसमें विभिन्न प्रकार की प्रजातियाँ जैसे कि स्तनधारी, पक्षी, कीट, और पेड़ शामिल होते हैं।
- आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity): इसमें जीवों के बीच आनुवंशिक भिन्नताएँ शामिल होती हैं।
- पारिस्थितिक विविधता (Ecological Diversity): इसमें विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्र जैसे वन, मरुस्थल, समुद्र, आदि आते हैं।
जैव विविधता का महत्व: जैव विविधता पारिस्थितिक तंत्र को स्वस्थ और संतुलित बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। इसके कुछ प्रमुख महत्व निम्नलिखित हैं:
- (i) पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखना: जैव विविधता पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित रखने में मदद करती है। यदि किसी एक प्रजाति की संख्या कम या ज्यादा होती है, तो इससे पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हो सकता है।
- (ii) प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण: जैव विविधता विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों का स्रोत होती है जैसे कि भोजन, औषधियाँ, और कच्चे माल। वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की विविधता से हमें कई तरह के औषधीय पौधे और जड़ी-बूटियाँ प्राप्त होती हैं।
- (iii) जलवायु नियंत्रण: जैव विविधता जलवायु को नियंत्रित करने में सहायक होती है। पेड़-पौधे वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं, जिससे जलवायु पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- (iv) आर्थिक लाभ: जैव विविधता से कृषि, मत्स्य पालन, और पर्यटन जैसे उद्योगों को लाभ मिलता है। स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र की बदौलत मनुष्य इन सभी संसाधनों का भरपूर उपयोग कर सकते हैं।
जैव विविधता के प्रकार:
- (i) प्रजातियों की विविधता (Species Diversity): इसमें विभिन्न जीव प्रजातियाँ शामिल होती हैं। प्रत्येक प्रजाति का अपना एक महत्वपूर्ण योगदान होता है। उदाहरण के लिए, पृथ्वी पर कई प्रकार के पक्षी, पशु, कीट और वनस्पतियाँ पाई जाती हैं।
- (ii) आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity): यह प्रत्येक प्रजाति के भीतर पाई जाने वाली आनुवंशिक भिन्नताओं को दर्शाती है। एक ही प्रजाति के विभिन्न जीवों में आनुवंशिक अंतर हो सकता है, जिससे उनकी विशेषताएँ अलग होती हैं। उदाहरण के लिए, मनुष्यों के बीच रंग, ऊँचाई, और शारीरिक बनावट में भिन्नता देखने को मिलती है।
- (iii) पारिस्थितिक विविधता (Ecological Diversity): यह विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों को संदर्भित करता है। पृथ्वी पर कई प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र पाए जाते हैं जैसे कि वन, जल, मरुस्थल, घास के मैदान, आदि। प्रत्येक पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु और पौधे पाए जाते हैं।
जैव विविधता को खतरे:
- (i) वनों की कटाई (Deforestation): वनों की अत्यधिक कटाई जैव विविधता को नष्ट कर रही है। वन जीव-जंतुओं का घर होते हैं और इन्हें नष्ट करने से उनकी प्रजातियाँ समाप्त हो सकती हैं।
- (ii) प्रदूषण (Pollution): वायु, जल, और मृदा प्रदूषण जैव विविधता को नुकसान पहुँचाता है। रासायनिक पदार्थों के कारण पर्यावरण दूषित हो जाता है, जिससे पौधों और जानवरों की प्रजातियाँ प्रभावित होती हैं।
- (iii) जलवायु परिवर्तन (Climate Change): जलवायु परिवर्तन जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। तापमान में वृद्धि, वर्षा पैटर्न में बदलाव और प्राकृतिक आपदाओं से कई प्रजातियाँ नष्ट हो रही हैं।
- (iv) अधिक शिकार और अवैध व्यापार: जंगली जानवरों का अवैध शिकार और व्यापार जैव विविधता के लिए एक बड़ा खतरा है। कई प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं क्योंकि उनका अवैध शिकार किया जा रहा है।
जैव विविधता के संरक्षण के उपाय:
- (i) राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य: सरकार ने जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए कई राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य स्थापित किए हैं। इन क्षेत्रों में वन्यजीवों को सुरक्षित रखा जाता है और उनके आवासों की रक्षा की जाती है।
- (ii) वनों का संरक्षण: वनों का संरक्षण जैव विविधता के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण तरीका है। वन जैव विविधता के प्रमुख स्रोत होते हैं, इसलिए हमें वनों की कटाई को रोकना चाहिए और पेड़ लगाने को प्रोत्साहित करना चाहिए।
- (iii) प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग: प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित और टिकाऊ उपयोग करना आवश्यक है। अत्यधिक दोहन से जैव विविधता प्रभावित हो सकती है, इसलिए हमें संसाधनों का समझदारी से उपयोग करना चाहिए।
- (iv) जागरूकता फैलाना: जैव विविधता के महत्व और संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता फैलाना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए शिक्षा और पर्यावरण जागरूकता अभियानों का संचालन करना चाहिए।
भारत में जैव विविधता: भारत दुनिया के सबसे जैव विविध देशों में से एक है। यहां विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र, वनस्पतियाँ, और जीव-जंतु पाए जाते हैं। भारत में कई राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और जैव विविधता हॉटस्पॉट हैं, जो जैव विविधता को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- (i) राष्ट्रीय उद्यान: भारत में कई प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं, जैसे कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, आदि। ये उद्यान वन्यजीवों और उनकी प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए बनाए गए हैं।
- (ii) जैव विविधता हॉटस्पॉट: भारत के पश्चिमी घाट और हिमालय क्षेत्र जैव विविधता हॉटस्पॉट हैं। यहां कई दुर्लभ और अद्वितीय प्रजातियाँ पाई जाती हैं। ये क्षेत्र पर्यावरणीय और जैव विविधता के दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।
उपसंहार:
BSEB Class 8th Science Chapter 12 Notes के अंतर्गत हमने जैव विविधता के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया। जैव विविधता न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि हमारे जीवन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमें भोजन, औषधियाँ, और अन्य संसाधन प्रदान करती है। लेकिन, वनों की कटाई, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अवैध शिकार जैव विविधता के लिए खतरा बने हुए हैं। जैव विविधता का संरक्षण आवश्यक है, और इसके लिए हमें संयुक्त प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इसका लाभ उठा सकें।
Solutions Class 8 Vigyan Bihar Board समाधान हिंदी में
जैव विविधता की सुरक्षा और संरक्षण से न केवल पर्यावरण को बचाया जा सकता है, बल्कि मानव जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार किया जा सकता है। हमें इस दिशा में जागरूक होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए।